बैनर : इरोज इंटरनेशनल, नेक्स्ट जेन फिल्म्स प्रोडक्शन्स
कलाकार : परेश रावल, राजीव खंडेलवाल, टीना देसाई
निर्माता : सुनील लुल्ला, विकी राजानी
निर्देशक : आदित्य दत्त
टेबल नंबर 21 एक थ्रिलर है। विवान (राजीव खंडेलवाल) और सिया (टीना देसाई) के कॉलेज की दोस्ती शादी में बदल जाती है। अपनी शादी की पांचवी सालगिरह पर वो एक शानदार द्वीप पर जाते हैं जहां उनकी मुलाकात खान (परेश रावल) से होती है। बातों-बातों में खान उन्हें एक खेल का लालच देता है जिसका ईनाम 21 करोड रूपए है। विालन को ये खेल आर्थिक दृष्टि से काफी रोचक लगता है। खेल का बस एक ही नियम है ‘‘अगर झूठ बोला तो मारे जाओगे।’’ इस खेल को इंटरनेट पर पूरी दुनिया भर में लोग देखते हैं। जैसे-जैसे विवान राउंड जीतता है उसके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होते जाते हैं, लेकिन खेल का लेवल कठिन होने के साथ ही विवान और सिया समझ जाते हैं कि बिना किसी बडे नुकसान के वो ये खेल नहीं छोड पाएंगे।
शांतनु रे और शीर्षक आनंद की कहानी ‘‘टेबल नंबर 21’’ संजय दत्त की फिल्म ‘‘जंदा’’ की काफी याद दिलाती है।
फिल्म दर्शकों को अपनी सीट पकड कर बैठने के लिए मजबूर करेगी क्योंकि आप सोच ही नहीं सकते कि आगे क्या होगा। हालांकि एक बार जब खेल खतरनाक हो जाता है उसके बाद दर्शकों को आने वाले ड्रामे का अंदाजा लग सकता है और तभी फिल्म थोडी बोरिंग और थकाऊ लगने लगती है।
हालांकि खेल में विवान और सिया को ये भी समझ आता है कि खान उनके अतीत के बारे में काफी कुछ जानता है। फिल्म वर्तमान और फ्लैश बैक में झूलती है और जब आखिरी फ्लैश बैक शुरू होने वाला होता है तब तक दर्शकों को सस्पेंस का लगभग अंदाजा लग जाता है, लेकिन फिर भी दर्शकों के लिए संसपेंस बना रहता है। शांतनु, शीर्षक और अभिजीत देशपांडे की पटकथा काफी रोचक है।
सबसे जरूरी बात ये है कि क्योंकि फिल्म थोडी अलग है इसलिए मसाला फिल्म देखने वाले दर्शकों को शायद पसंद ना आए। फिल्म की सबसे बडी खामी ये है कि दर्शक विवान और सिया के लिए जरा भी हमदर्दी नहीं दिखा पाते क्योंकि लेखकों ने दोनों किरदारों के बारे में ज्यादा कुछ बताया ही नहीं।
अभिजीत द्वारा लिखे डायलॉग्स में दम है और आपके चेहरे पर हंसी भी लाते हैं। खान की भूमिका में परेश रावल ने शानदार भूमिका अदा की है। छोटे पर्दे से बड़े पर्दे पर आये राजीव खंडेलवाल भी विवान के रोल में जमे हैं। उन्होंने किरदार की परेशानी और ईमानदारी को बखूबी दिखाया है। टीना देसाई ने भी सिया का रोल प्रभावशाली तरीके से निभाया। आदित्य दत्त का निर्देशन बढिया है। कहानी में थोडी स्पीड और होती तो अच्छा होता। हालांकि फिल्म में गानों के लिए जगह नहीं है फिर भी गीत डाले गए हैं। अमर मोहिले का बैकग्राउंड स्कोर बेहतर हो सकता था। फिजी की लोकेशन बेहद मनमोहक है। कुल मिलाकार टेबल नं 21 एक बांध कर रखने वाली रोमांचक फिल्म है, बल्कि कुछ नया भी देखने को मिलता है। विवान और सिया ये खेल जीत पाते हैं।
21 करोड रूपए ईनाम को विवान और सिया जीत पाते है या नहीं और उन्हें क्या मुसीबते आती है आखिर कौन है खान और वो इन दोनों के बारे में इतना कुछ कैसे जानता है। यह जानने के लिए फिल्म ज़रुर देखें।